मंगलवार, 23 जून 2015

पूर्ण विजय संकल्प हमारा अनथक अविरत साधना

पूर्ण विजय संकल्प हमारा।

पूर्ण विजय संकल्प हमारा अनथक अविरत साधना ।
निषिदिन प्रतिपल चलती आयी राष्ट्रधर्म आराधना ।
वंदे मातृभूमी वंदे वंदे जगजननी वंदे ॥धृ॥
पुण्य पुरातन देश हमारा मानवतत्व आदर्ष रहा ।
संस्कृती का पावन मंगल स्वर कोटी कंठ से नित्य बहा ।
सकल विश्व का मंगल करने सर्वस्वार्पण प्रेरणा ॥१॥
निषिदिन प्रतिपल चलती आयी-----
संबल लेकर हिंदु चेतना समरसता का मंत्र महान ।
आतीत की गौरवगाथा का पथदर्शक प्रेरक आह्वान ।
भविष्य का पथ उज्ज्वल करने शक्ती संचय साधना ॥२॥
निषिदिन प्रतिपल चलती आयी----
मातृभूमी आराध्य हमारी राष्ट्रभक्ती है प्रेरणा ।
ईश्वर का है कार्य हमारा जीवन की संकल्पना ।
केशव प्रेरित संघमार्ग पर चरैवेती की कामना ॥३॥

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