मंगलवार, 28 जुलाई 2015

आतंकी याकूब मेमन का इंटरव्यू

फांसी से पहले याकूब मेमन का इंटरव्यू सिर्फ हमारे बुड़बक पेज पे!!!
भारतीय सरकार ने याकूब मेमन की फाँसी की खबर को अत्यंत गोपनीय रखा और किसी भी न्यूज़ चैनल को इसकी भनक तक नहीं लगी, परन्तु  हमारे बुड़बक पत्रकार को किसी तरह इसका पता चल गया और वे उससे मिलने जेल जा पहुँचे। तत्पश्चात उन्होने याकूब से कुछ सवाल पूछे. आगे पढ़िए याकूब मेमन का साक्षात्कार:
पत्रकार ने याकूब से उसकी एक रंगीन तस्वीर भी मांगी, पर याकूब वो दे न सका।
बुड़बक:- तो याकूब जी कैसा महसूस कर रहे हैं आप?
याकूब :- जी बहुत अच्छा लग रहा है, आप भी कभी लटक जाइए फाँसी पर. अच्छा लगेगा!
बुड़बक :- क्या आप पहले भी कभी फाँसी पे लटके हैं?
याकूब :- जी हाँ! कई बार।
बुड़बक :- अच्छा ये बताइए कि क्या चाहते हैं आप अभी?
याकूब :- जी चाहता तो ये हूँ की मेरी जगह आप लटक जाओ!
बुड़बक :- लानत है। वो तो नहीं हो सकता लेकिन आप हमें ये बताएँ की जेल मे आप को कोई तकलीफ़ तो नहीं थी?
याकूब :- जी बिल्कुल नहीं, जेल अच्छी जगह है. आपको भी वहीं चले जाना चाहिए.
बुड़बक :- आपका जेल में मनोरंजन कैसे होता था?
याकूब :- जी आपके पोस्ट पढ़ता रहता हूँ।
बुड़बक :- सुनने मे आया है की आपको डेंगू भी हुआ था, वो कैसे हुआ?

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याकूब :- जी सांप के काटने से।
बुड़बक :- क्या आपकी माँ से आपकी कोई बात हुई, कैसा महसूस कर रही थी वो आपकी फाँसी की खबर सुन कर?
याकूब :- जी हाँ। वो तो ख़ुशी से कूद पड़ी।
बुड़बक :- क्या आपने अपनी वसीयत लिखी है?
याकूब: जी हाँ, एक फाँसी आपके नाम पर लिख छोड़ी है, मेरे जाने के बाद claim कर लीजिएगा।
बुड़बक :- क्या आपको अभी घबराहट हो रही है?
याकूब: जी पहले तो नहीं लेकिन अब आपके सवालों से ज़रूर हो रही है!
बुड़बक :- क्या आपको अपनी करनी पर कोई पछतावा हो रहा है?
याकूब :- जी कसम से,  अगर पता होता की एक दिन ऐसे सवालों का जवाब देना पड़ेगा तो कभी कोई ग़लत काम ना करता.
बुड़बक :- क्या आप हमारे दर्शकों को कोई संदेश देना चाहेंगे?
याकूब :- जी यही संदेश है कि आपका पेज " बुड़बक " जरूर लाइक करें।
(इसके बाद सुरक्षा बलों ने मुझे बाहर फेक दिया और साक्षात्कार वहीं समाप्त हुआ)

शुक्रवार, 10 जुलाई 2015

काँग्रेस का व्हाट्सअप ग्रुप

काँग्रेस ऑफिसियल whatsapp ग्रुप

दिग्गी:- Good Morning... राहुल बाबा और सोनिया जी चरण स्पर्श।

राहुल:- हो गयी सुबह मामा भौंकने लगे।

Manmohan is typing...

राहुल:- अबे बुढ्ढे हमेशा मौन ही रहता है कुछ तो बोला कर

सोनिया:- राहुल 😤 यही तमीज है बुजुर्गो से बात करने की 😊

Rahul left

Digvijay added rahul

दिग्गी:- क्या हुआ माई बाप। सोनिया जी की तरफ से मैं माफ़ी माँगता हूँ 🙏

Manmohan is typing...

सलमान खुर्शीद:- अस्सलाम आलेकुम

दिग्गी:- वालेकुम अस्सलाम मियाँ

राहुल:- सलाम चचाजान

ज्योतिरादित्य:- सलाम मियाँ

Manmohan is typing...

सोनिया:- दिग्गी मध्यप्रादेश में शिवराजा के विरोध में क्या कार राहे हो आजकल

दिग्गी:- मैडम शिवराजा नही शिवराज। व्यापम में डेली भौंक देता हूँ

सलमान खुर्शीद:- अल्लाह ताला जरूर कामयाब करेगा।

दिग्गी:- आमीन

ज्योतिरादित्य:- आमीन

कमलनाथ:- आमीन

राहुल:- क्या आमीन लगा रखा है bc अल्ला ताला को गाँड में डाल लो bc

दिग्गी:- माफ़ कीजिये माई बाप। हमारा इरादा आपको डिस्टर्ब करने का नही था।

Manmohan is typing...

दिग्गी:- माई बाप आपके लिए मस्त हिमगंगे तेल लाया हूँ। आइये घर पे मस्त चम्पी करता हूँ आपकी

राजीव शुक्ला:- भाई दिग्गी कभी हमे भी बुलाओ घर पे।  लेकिन हम अमृता जी से मालिश करवाएंगे।

ज्योतिरादित्य:- हम भी। इश्ह्ह्ह्ह् अमृता

Digvijay left

राहुल:- भक्क् bc भगा दिया ना मामू को
अब ऐड करो bc कोई जल्दी से वरना भौंकेगा कौन?

Manmohan is typing...

सोनिया:- मन मोहन जी क्या कहना चाहते है

मनमोहन:-  कड़ी निंदा करता हूँ

राहुल:- काय की कड़ी निंदा bc

Manmohan is typing...

सोनिया:- क्या हुआ आपको मानमोन जी बताओ हमको

राहुल:- अबे कोई दिग्गी को एड करो bc मन ही नही लग रहा

राहुल:- हेलो कोई है bc

सलमान खुर्शीद:- इंसाँअल्लाह एडमिन तो वही थे।

राहुल:- इंसाअल्लाह को डाल लो पिछवाड़े में। bc देखो अब तुम ही हो एडमिन

Salman added digvijay...

दिग्गी:- अबे अल्लाह की हिजड़ी औलाद, कटुए एड क्यों किया मुझे।

Salman left

राहुल:- कटुए क्यों भाग गया

Gulam nabi left

Farukh shekh left

rahul remove digvijay

Rahul remove jyotiraditya

Rahul remove soniya

Manmohm is typing...

Soniya left

Rahul left

Diggi left

Manmohan is typing

बुधवार, 24 जून 2015

दारू की अजब महिमा

शराब भी एक तरह की"टाइम मशीन" है! जिसे पीने के बाद इंसान "भूत या भविष्य" किसी भी काल में जा सकता है!!
जब दारू पीकर आदमी सच बोलता है तो पता नहीं सरकार नार्को टेस्ट में पैसे क्यों बर्बाद करती है?

अनमोल विचार:-

पियो तो हद कर दो, वरना प्रोग्राम रद्द कर दो।


सर्दी भगाने का अचूक नुस्खा:-

गले पर ब्रांडी की मालिश करें, लेकिन अंदर की तरफ से।



दारु पीते हुए 3 दोस्त:

पहला दोस्त: भाई बुलेट से लद्दाख चलेंगे।

दूसरा दोस्त: हाँ भाई बिल्कुल चलेंगें।

तीसरा दोस्त: यार, पर अपने पास तो साइकिल भी नहीं है।

पहले दोनों दोस्त: कमीने हमें पता था, तू दारु पी ही नहीं रहा, सिर्फ नमकीन खा रहा है


कहते हैं "शराब जितनी पुरानी हो उतनी अच्छी होती है। पर हमारे देश वाले पुरानी होने कहाँ देते हैं।




आज सुबह मैंने एक दोस्त को 3 बार कॉल किया उसने फोन नहीं उठाया तो मैंने उसे मेसेज किया

"शाम को दारु पार्टी कर रहा हूँ तू आएगा क्या?

अब तक मुझे उसके 10 बार कॉल आ चुकी है और अब मैं फोन नहीं उठा रहा

ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं होता, ख़ुशी का सिर्फ ठेका होता है।




किसी ने हमसे पूछा कि क्या काम करते हो?

हमने भी बड़ी शान से जवाब दिया कि यह "Chivas Regal" - "Johny Walker" जैसी बड़ी कंपनियां हमारे दम पर ही चलती हैं।

परम सत्य:

कितनी भी Mountain Dew पियो पर डर तो दारु पीने से ही दूर होता है

कुछ दिनों पहले एक दोस्त बोल रहा था,

"अमिताभ बच्चन दारू पिये बिना दारू पीने की कितनी अच्छी एक्टिंग करता है।"

अब उसे कौन समझाये कि दारु पिये बिना दारू पीने की एक्टिंग करने से ज़्यादा मुश्किल दारू पीने के बाद घर जा कर दारू ना पीने की एक्टिंग करना होता।

तू चाहती की मेरी आँखें कभी नम ना हो,
तो फिर चैक करती रहना, दारू में कभी पानी कम ना हो।

सूर्यवंशम की महिमा

लोग सूर्यवंशम कहते हैं मुझे, नाम तो सुना ही होगा। 

आज हम बात करते हैं अमिताभ माफ़ कीजिए हीरा ठाकुर अभिनीत फ़िल्म सूर्यवंशम की।
कहते हैं सूर्यवंशम की लहर के आगे मोदी जी की लहर हल्की देखाई पड़ती है।
सेट मैक्स वाले सिक्का उछालकर फैसला करते है यदि चित्त (हेड) आया तो डॉन न.1 और पट्ट(टेल) आया तो सूर्यवंशम।
बीजेपी के गुप्त सूत्रो से खबर मिली है की उनकी पार्टी अगला लोकसभा चुनाव सूर्यवंशम पर प्रतिबन्ध लगाने के एजेंडे पर लड़ेगी।
लेकिन सूर्यवन्शम को रोकना मुश्किल ही नहीं नामुकिन है
अमिताभ बच्चन ने अपने केबल कनेक्शन से सेट मैक्स इसलिए हटवा दिया क्योंकि उनकी पोती आराध्या उनको दादा जी को जगह हीरा ठाकुर बोलने लगी थी।
और इधर सरकार उन लाखों चूतियों को खोज रही हैं जिन्होंने यू ट्यूब पे फ़िल्म  सूर्यवंशम देखी।
किसी शायर ने क्या खूब कहा है
जिंदगी में गम और सेट मैक्स पे सूर्यवंशम कब आ जाए कोई नही जानता!!!
सूर्यवंशम का मेरी जिंदगी में कुछ ऐसा असर हुआ है यदि घर पे खीर बन जाये तो सबसे पहले अपनी वाइफ को चटाता हूँ
ये मुझे बदनाम करने की साजिश है मुझसे ज्यादा तो सास बहु के नाटक पकाते हैं - सूर्यवंशम 
सेटमैक्स वालों की सूर्यवंशम की CD नें सुप्रीम कोर्ट में इक्छामृत्यु की गुहार लगाई है और CD का कहना है की ये लोग मुझसे जबरन बन्धुआ मजदूरी करवा रहे हैं। 
थप्पड़ से दर नही लगता साहब, सूर्यवंशम से लगता है- सोनाक्षी।
यदि काँग्रेस मोदी जी की जगह सूर्यवंशम का विरोध करती तो पूरा देश उसके साथ खड़ा होता।
जब तक सूरज चाँद रहेगा सूर्यवंशम तेरा नाम रहेगा।
आज तक द्वारा किये गये एक सर्वे में पता चला है की सेट मेक्स वाले साल में जितनी बार "सूर्यवंशम दिखाते है उतनी बार तो केजरीवाल भी "चूतियापा" नहीं करता।




मंगलवार, 23 जून 2015

पूर्ण विजय संकल्प हमारा अनथक अविरत साधना

पूर्ण विजय संकल्प हमारा।

पूर्ण विजय संकल्प हमारा अनथक अविरत साधना ।
निषिदिन प्रतिपल चलती आयी राष्ट्रधर्म आराधना ।
वंदे मातृभूमी वंदे वंदे जगजननी वंदे ॥धृ॥
पुण्य पुरातन देश हमारा मानवतत्व आदर्ष रहा ।
संस्कृती का पावन मंगल स्वर कोटी कंठ से नित्य बहा ।
सकल विश्व का मंगल करने सर्वस्वार्पण प्रेरणा ॥१॥
निषिदिन प्रतिपल चलती आयी-----
संबल लेकर हिंदु चेतना समरसता का मंत्र महान ।
आतीत की गौरवगाथा का पथदर्शक प्रेरक आह्वान ।
भविष्य का पथ उज्ज्वल करने शक्ती संचय साधना ॥२॥
निषिदिन प्रतिपल चलती आयी----
मातृभूमी आराध्य हमारी राष्ट्रभक्ती है प्रेरणा ।
ईश्वर का है कार्य हमारा जीवन की संकल्पना ।
केशव प्रेरित संघमार्ग पर चरैवेती की कामना ॥३॥

संघ किरण घर घर देने को अगणित नंदा दीप जलें

संघ किरण घर घर देने को।


संघ किरण घर घर देने को अगणित नंदादीप जले
मौन तपस्वी साधक बन कर हिमगिरि सा चुपचाप गले ॥धृ॥
नई चेतना का स्वर दे कर जनमानस को नया मोड दे
साहस शौर्य हृदय मे भर कर नयी शक्ति का नया छोर दे
संघशक्ति के महा घोष से असुरो का संसार दले ॥१॥
परहित का आदर्श धार कर परपीडा को ह्रिदय हार दे
निश्चल निर्मल मन से सब को ममता का अक्षय दुलार दे
निशा निराशा के सागर मे बन आशा के कमल खिले ॥२॥
जन मन भावुक भाव भक्ति है परंपरा का मान यहा
भारत माँ के पदकमलो का गाते गौरव गान यहा
सब के सुख दुख मे समरस हो संघ मन्त्र के भाव पले ॥३॥

       
           भारत माता की जय 

अब जाग उठो कमर कसो मंजिल की राह पुरानी है

अब जाग उठो कमर कसो।


अब जाग उठोकमर कसोमंजिल की राह बुलाती है
ललकार रही हमको दुनिया
 भेरी आवाज़ लगाती है ॥

है ध्येय हमारा दूर सही
 पर साहस भी तो क्या कम है
हमराह अनेक
  साथी हैक़दमों में अंगद का दम है
असुरों
  की लंका राख करे वह आग लगानी आती है ॥१॥

पग-पग पर काँटे
  बिछे हुएव्यवहार कुशलता हममें है
विश्वास विजय का अटल लिएनिष्ठा कर्मठता हममें है
विजयी पुरखों की परंपराअनमोल हमारी थाती है ॥२॥

हम शेर शिवा के अनुगामीराणा प्रताप की आन लिए 
केशव माधव का तेज लिएअर्जुन का शरसंधान लिए
संगठन तन्त्र की शक्ति ही वैभव का चित्र सजाती है ॥३॥

              भारत माता की जय!!

उठो जवान देश के वसुंधरा पुकारती देश है पुकारता पुकारती माँ भारती

उठो जवान देश के।

उठो जवान देश की वसुंधरा पुकारती।
देश है पुकारता पुकारती माँ भारती।।

रगों में तेरे बह रहा है खून राम श्याम का।
जगदगुरु गोविंद और राजपूती शान का।।

तू चल पड़ा तो चल पड़ेगी साथ तेरे भारती।
देश है पुकारता पुकारती माँ भारती ||

उठा खडग बढा कदम कदम कदम बढाए जा।
कदम कदम पे दुश्मनो के धड़ से सर उड़ाए जा।।

उठेगा विश्व हांथ जोड़ करने तेरी आरती।
देश है पुकारता पुकारती माँ भारती ||

तोड़कर ध्ररा को फोड़ आसमाँ की कालिमा।
जगा दे सुप्रभात को फैला दे अपनी लालिमा।।

तेरी शुभ कीर्ति विश्व संकटों को तारती।
देश है पुकारता पुकारती माँ भारती ||

है शत्रु दनदना रहा चहूँ दिशा में देश की।
पता बता रही हमें किरण किरण दिनेश की।।

ओ चक्रवती विश्वविजयी मात्र-भू निहारती।
देश है पुकारता पुकरती माँ भारती ||

संगठन गढ़े चलो सुपंथ पर चले चलो

संगठन गढ़े चलो सुपंथ पर चले चलो।


संगठन गढ़े चलो, सुपंथ पर बढ़े चलो ।
भला हो जिसमें देश का, वो काम सब किए चलो ॥ध्रु॥

युग के साथ मिल के सब कदम बढ़ाना सीख लो ।
एकता के स्वर में गीत गुनगुनाना सीख लो ।
भूल कर भी मुख में जाति-पंथ की न बात हो ।
भाषा-प्रांत के लिए कभी ना रक्तपात हो ।
फूट का भरा घड़ा है फोड़ कर बढ़े चलो ॥१॥

आ रही है आज चारों ओर से यही पुकार ।
हम करेंगे त्याग मातृभूमि के लिए अपार ।
कष्ट जो मिलेंगे मुस्कुरा के सब सहेंगे हम ।
देश के लिए सदा जिएंगे और मरेंगे हम ।
देश का ही भाग्य अपना भाग्य है ये सोच लो ॥२॥

संगठन गढ़े चलो, सुपंथ पर बढ़े चलो ।
भला हो जिसमें देश का, वो काम सब किये चलो ॥
     
       !! भारत माता की जय !!

सोमवार, 22 जून 2015

संघ की शाखा

संघ की शाखाओं के प्रकार!


शाखा किसी मैदान या खुली जगह पर एक घंटे की लगती है। शाखा में खेल, सूर्य नमस्कार, समता (परेड), गीत और प्रार्थना होती है। सामान्यतः शाखा प्रतिदिन एक घंटे की ही लगती है। शाखाएँ निम्न प्रकार की होती हैं:-
  • प्रभात शाखा: सुबह लगने वाली शाखा को "प्रभात शाखा" कहते है।
  • सायं शाखा: शाम को लगने वाली शाखा को "सायं शाखा" कहते है।
  • रात्रि शाखा: रात्रि को लगने वाली शाखा को "रात्रि शाखा" कहते है।
  • मिलन: सप्ताह में एक या दो बार लगने वाली शाखा को "मिलन" कहते है।
  • संघ-मण्डली: महीने में एक या दो बार लगने वाली शाखा को "संघ-मण्डली" कहते है।


पूरे भारत में अनुमानित रूप से ५०,००० शाखा लगती हैं। विश्व के अन्य देशों में भी शाखाओं का कार्य चलता है, पर यह कार्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नाम से नहीं चलता। कहीं पर "भारतीय स्वयंसेवक संघ" तो कहीं "हिन्दू स्वयंसेवक संघ" के माध्यम से चलता है।
शाखा में "कार्यवाह" का पद सबसे बड़ा होता है। उसके बाद शाखाओं का दैनिक कार्य सुचारू रूप से चलने के लिए "मुख्य शिक्षक" का पद होता है। शाखा में बौद्धिक व शारीरिक क्रियाओं के साथ स्वयंसेवकों का पूर्ण विकास किया जाता है।
जो भी सदस्य शाखा में स्वयं की इच्छा से आता है, वह "स्वयंसेवक" कहलाता है।

रविवार, 21 जून 2015

बुड़बक के एडमिन बनने के लिए क्या करें

यदि आप "बुड़बक" के एडमिन बनना चाहते हैं तो-


•पोस्ट सिर्फ हिंदी में करें।

•केवल स्वालिखित पोस्ट ही करे।

•किसी अन्य पेज को प्रमोट ना करें।

•सिर्फ खुद की पोस्ट पे होने वाले कमेंट्स का जवाब दें।

कमेंट्स में गाली का प्रयोग ना करें।

यदि आप में ये सब योग्यताएँ हैं तो आप एडमिन बनने के लिए Rishabh Agrawal पर क्लिक करके Friend Request भेजे।


सबसे आवश्यक बात। आपको इस पिक को अपनी प्रोफाइल पिक बनानी होगी।

राम मंदिर अयोध्या से यूपी सरकार की 300 करोड़ की इनकम

राम मंदिर से यूपी सरकार की 300 करोड़ रुपए की कमाई!!!


अस्थायी राम मंदिर से उत्तरप्रदेश सरकार ने 300 करोड़ कमाए...


जब एक आधे-अधूरे मंदिर, फटे हुए टेंट में बैठे हुए रामलला, सैकड़ों सुरक्षाकर्मियों की बंदूकों के बावजूद तीन सौ करोड़ रूपए कमा लिए तो जब एक भव्य-विशाल-सुन्दर राम मंदिर बनेगा तो यूपी सरकार के खजाने में कितने हजार करोड़ रूपए प्रतिवर्ष आएँगे?? फैजाबाद-अयोध्या के आसपास सौ किमी की अर्थव्यवस्था में देश भर से आए राम श्रद्धालुओं के कारण कितना जबरदस्त उछाल आएगा... इसके सामने ताजमहल जैसे "मनहूस मकबरे" से होने वाली कमाई पासंग भर भी नहीं ठहरेगी... 

संक्षेप में तात्पर्य यह है कि यदि उत्तरप्रदेश के लोग यूपी का आर्थिक उत्थान देखना चाहते हैं तो जात-पाँत-धर्म को पीछे छोड़कर भव्य राम मंदिर के लिए मार्ग प्रशस्त करने का दबाव सरकारों पर बनाएँ... इसी में सभी का फायदा है... यदि इतनी सीधी सी बात समझ में नहीं आती तो फिर चुपचाप बैठे कुढ़ते रहिएगा कि अगले दस वर्ष बाद सरदार पटेल की उस विराट मूर्ति से गुजरात कैसे और कितनी कमाई करेगा... "धार्मिक पर्यटन" कोई मामूली बात नहीं है, होटल, सड़कें, भोजनालय, हार-फूल-प्रसाद, गाईड सहित दर्जनों काम-धंधे जुड़े होते हैं... 

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सेकुलर-प्रगतिशील-वामपंथी मूर्खों की बातों में आकर पहले ही राम मंदिर निर्माण में काफी देर हो चुकी है. अब आगे उत्तरप्रदेश वालों की मर्जी..

भगवा

"भगवा" का मतलब और कुछ सवाल: -

पिछले दिनों हमारे पूर्व गृहमंत्री पी चिदम्बरम ने "भगवा आतंक" का बयान देकर एक समुदाय विशेष को लट्टू तो कर लिया. लेकिन इस बयान पर जो प्रतिक्रिया आयी उसे देखकर सत्तारूढ़ कांग्रेस और गृहमंत्रीजी के होश उड़ गए. "सत्तारूढ़ कांग्रेस" अपना बचाव करती नजर आयी, वही सेक्युलरवाद कि नयी परिभाषा गढ़ने वाले गृहमंत्री इस मोर्चे पर बिलकुल अलग-थलग पड़ते नजर आये. हिन्दू साधू संतों के आलावा सिख, बौध धर्म के संतों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त कि क्यूंकि "भगवा या केसरिया रंग" न केवल हिन्दुओं के लिए बल्कि सिख समुदाय और बौध धर्म के लिए पूजनीय है और फिर इस हिन्दू बहुल देश में "भगवा" को पवित्र न मानाने वाले कठमुल्लों कि तादाद ही कितना है इसलिए ये प्रतिक्रिया तो होनी ही थी. 

 "भगवा" एक पवित्र रंग है, जिसको सदियों से हमारे साधू-संत पूजते आ रहे है. सूर्य में जो आग है वो रंग भी भगवा है. "केसरिया" या "भगवा" रंग शौर्य और वीरता का प्रतिक है. इस रंग को पहनकर न जाने कितने वीरों ने अपना बलिदान दिया. साधू-संतों का समागम हो या, हिन्दू मंदिरों कि ध्वजा हो या फिर सजावट सभी में शान का रंग भगवा है. भगवा रंग में हिन्दू धर्म कि आस्था, दर्शन और जीवनशैली छुपी हुई है. भगवा या केसरिया सूर्योदय और सुर्यास्त का रंग है, मतलब हिंदू की चिरंतन, सनातनी, पुर्नजन्म की धारणाओं को बताने वाला रंग है यह। आग और चित्ता या कि अंतिम सत्य का भी यह रंग है। इसी रंग के वस्त्र धारण कर हिंदू, बौद्र साधू संत विदेश गए। दुनिया को शांति का धर्म संदेश दिया। दुनिया की दूसरी सभ्यताओं, संस्कृतियों के अपने रंग है जबकि भगवा की पहचान इसलिए है क्योंकि वह सिर्फ हिंदुस्तान में हिंदू-बौद्व-सिक्खों का प्रतिनिधि रंग रहा है। हिंदूओं के लिए यह शौर्य और त्याग का भी रंग है। महाराणा प्रताप और शिवाजी के झंडे भगवा ही तो थे। 

इसी भगवा और इसी भगवा के साथ चिंदबरम ने आंतकवाद को जोडा है। उन्होने बकायदा पुलिस प्रमुखों की बैठक के भाषण में भगवा आतंकवाद को देश के लिए नई चुनौती बताया। जाहिर है साध्वी प्रज्ञा और कुछ अज्ञात हिंदूवादी संगठनों के लोगों की धरपकड को चिदंबरम ने भारत के लिए खतरा माना है। यदि ऐसा है तब भी चिदंबरम देश के गृह मंत्री है। उन्हे मालूम है कि अभी तक अदालत में इन लोगों पर लगे आरोप पुष्ट नहीं हुए है। ऐसे में चिदंबरम कैसे यह मान सकते है कि आंतकवाद की घटनाओं से प्रतिक्रिया में पगलाएं पांच-छह सिरफिरे हिंदू लोग भगवा आतंकवाद की बानगी है। क्या इन छह-आठ लोगों की बानगी पर करोडों हिंदूओं के प्रतिक रंग भगवा से आंतकवाद को जोडा जाएगा। 
आज हर एक भारतीय चिदम्बरम से कुछ सवालों के जवाब जानना चाहता है. जिसका जवाब शायद "सेक्युलरवाद कि रोटियाँ तोड़ने वाली इस कांग्रेस के किसी भी "रीढविहीन नेता" के पास नहीं है". 

1. सूर्योदय और सूर्यास्त का रंग भी "भगवा या "केसरिया" है. तो क्या सूर्य को आतंकवादी मान लिया जाए और "कांग्रेस" पार्टी द्वारा इसे उदय होने से रोका जाए ..??


2. आज कांग्रेस पार्टी मुस्लिम वोट बैंक को खुश करने के लिए "भगवा" को आतंकवादी बता रही है. उसी पार्टी के कई बड़े नेताओं जैसे ( जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना आज़ाद, सरदार तारासिंह इत्यादि-) ने 1931 के कराची अधिवेशन में "भगवा" को राष्ट्रध्वज के रूप में स्वीकार किया. तो आदरणीय गृहमंत्री कृपया यह बताये कि क्या ये सभी नेता "आतंकवादी" थे..?? अगर ऐसा है तो "कांग्रेस पार्टी" जो जवाहारलाल नेहरू के नाम कि रोटियां तोड़ रही है उसको सबसे बड़ी "आतंकी" पार्टी ही मन जाए ..??


3. भगवा/केसरिया रंग भारतीय तिरंगे में सबसे ऊपर है तो क्या तिरंगे को "राष्ट्रीय ध्वज" न मानकर "आतंकवादी पताका" माना जाए..??


4. महाराणा प्रताप और शिवाजी के झंडे का रंग भगवा/केसरिया था. तो क्या ये माना जाए कि "देश" के लिए नहीं बल्कि "आतंक" के लिए लड़े थे.. ?? 

 5. "तिरंगे" में भगवा/केसरिया के आलावा " हरा" और "सफ़ेद" रंग भी है, तो क्या हरा रंग "इस्लामी" आतंक का और "सफ़ेद" रंग "इसाई आतंक" का प्रतिक है..?? 


दरअसल चिदम्बरम महोदय,  हर आम आदमी इस बात को समझ सकता है कि आपने "मुस्लिम वोट बैंक" कि राजनीती के लिए हिन्दू धर्म और भगवा को बदनाम किया है.. पर अबकी बार आपका ये पाशा उल्टा पड़ गया, इसलिए तो आपके पीछे भौं - भौं करने वाली सेल्युलरों कि जमात ने अपने हाथ पीछे खींच लिए.. उनको ये भी पता चल गया कि बहुसंख्यकों पर आपके प्यारे अलाप्संख्यक कभी राजनीती नहीं कर सकते है. हालांकि चिदंबरम के बयान के बाद कांग्रेस पार्टी का रुख भी वोट के जोड़-घटाने के लिहाज से ठीक ही था। क्योंकि कांग्रेस पार्टी को देश के हर लोकतांत्रित संस्थानों में जितना वोट मिलता है, उसका करीब 80 प्रतिशत वोट हिंदुओं का होता है। यही जोड़-घटाना लगाकर कांग्रेस पार्टी ने गंभीर रुख अपना लिया। ऐसा नहीं है कि कांग्रेस भगवा और भगवाधारियों का बड़ा सम्मान करती है। वह उसी का सम्मान करती है जिससे कि वोट मिले।

अच्छा तो ये होता कि आप सिर्फ "वेदांता" कि दलाली करते और ऐसे उलूल-जुलूल बयानों से बचाते तो शायद आपको गृहमंत्री के पद से हटाये जाने के बारे में न सोचा जाता . 


-- "अंगडाई लेते हिंदुत्व" कि ये प्रतिक्रिया जायज भी है क्यूंकि जब भी किसी अन्य मजहब पर संकट आया है तो दूर देशों में बैठे हिमायतियों ने जमकर हो-हल्ला मचाया है. जैसे कि इस्लाम के पैगम्बर के कार्टून डेनमार्क में बनने पर भी दंगे भारत में किये जाते हैं। चीन और रूस में देशद्रोही मुसलमानों का दमन होने पर दुनिया भर के मुसलमान उत्तेजित हो जाते हैं। इसीलिए 1962 में भारत पर आक्रमण करने वाली चीन की सेनाओं का भारत के कम्युनिस्टों ने ‘मुक्ति सेना’ कहकर स्वागत किया था और इसीलिए जनता शासन (1977-79) में जब भारत में लोभ, लालच और जबरन धर्मान्तरण पर प्रतिबन्ध लगाने का विधेयक श्री ओमप्रकाश त्यागी ने संसद में प्रस्तुत किया, तो उसका दुनिया भर के ईसाइयों ने विरोध किया था।-


एक लेख में "श्री तरुण विजय" लिखते है कि देश में अभारतीय मानसिकता का वैचारिक विद्वेष इस पागलपन के चरम तक पहुंच गया है कि इटालियन मूल की उस महिला को सुपर प्राइम मिनिस्टर बनाने में किसी कांग्रेसी या सेक्युलर को परहेज़ नहीं होता, जिसने विवाह के बाद 13 साल सिर्फ यह सोचने में लगा दिए कि वह भारत की नागरिकता ग्रहण करे या न करे, लेकिन भारत के गौरव और तिरंगे की शान के प्रतीक विश्वनाथन आनंद की नागरिकता पर शक पैदा कर उन्हें डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी का सम्मान देना रोक दिया गया था। भारत से गोरे अंग्रेज चले गए पर उन काले अंग्रेजों का राज कायम रहा, जिनका दिल और दिमाग हिंदुस्तान में नहीं बल्कि रोम, लंदन या न्यूयॉर्क में है।

लेकिन इस सारे हंगामे को देखकर "दिल में इस बात का कुछ सुकून जरूर हुआ कि सदियों से सोया हुआ "हिंदुत्व" अब अंगडाई ले रहा है" और वो दिन दूर नहीं जब इन सब सेक्युलर "घटोतकचों" को अपना अंजाम पता चल जायेगा... 

हिन्दू धर्म

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हिन्दू मापन प्रणाली
हिन्दू धर्म (संस्कृतसनातन धर्म) विश्व का एक अति प्राचीन धर्म है। यह वेदों पर आधारित धर्म है, जो अपने अन्दर कई अलग अलग उपासना पद्धतियाँ, मत, सम्प्रदाय और दर्शन समेटे हुए है। अनुयायियों की संख्या के आधार पर ये विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है, संख्या के आधार पर इसके अधिकतर उपासक भारत में हैं और प्रतिशत के आधार परनेपाल में है। हालाँकि इसमें कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन वास्तव में यह एकेश्वरवादी धर्म है।[1][2] [3]
हिन्दी में इस धर्म को सनातन धर्म अथवा वैदिक धर्म भी कहते हैं। इण्डोनेशिया में इस धर्म का औपचारिक नाम "हिन्दु आगम" है। हिन्दू केवल एक धर्म या सम्प्रदाय ही नही है अपितु जीवन जीने की एक पद्धति है " हिंसायाम दूयते या सा हिन्दु "[टंकणगत अशुद्धि?] अर्थात् जो अपने मन, वचन, कर्म से हिंसा को दूर रखे वह हिन्दू है और जो कर्म अपने हितों के लिए दूसरों को कष्ट दे वह हिंसा है।
नेपाल विश्व का एक मात्र आधुनिक हिन्दू राष्ट्र था (नेपाल के लोकतान्त्रिक आंदोलन के पश्चात् के अंतरिम संविधान में किसी भी धर्म को राष्ट्र धर्म घोषित नहीं किया गया है। नेपाल के हिन्दू राष्ट्र होने या ना होने का अंतिम फैसला संविधान सभा के चुनाव से निर्वाचित विधायक करेंगे)।

हिन्दू धर्म का इतिहास!
हिन्दू धर्म का 3000 साल का इतिहास है। भारत (और आधुनिक पाकिस्तानी क्षेत्र) की सिन्धु घाटी सभ्यता में हिन्दू धर्म के कई चिह्न मिलते हैं। इनमें एक अज्ञात मातृदेवी की मूर्तियाँ, शिव पशुपति जैसे देवता की मुद्राएँ, लिंग, पीपल की पूजा, इत्यादि प्रमुख हैं। इतिहासकारों के एक दृष्टिकोण के अनुसार इस सभ्यता के अन्त के दौरान मध्य एशिया से एक अन्य जाति का आगमन हुआ, जो स्वयं को आर्य कहते थे और संस्कृत नाम की एक हिन्द यूरोपीय भाषा बोलते थे। एक अन्य दृष्टिकोण के अनुसार सिन्धु घाटी सभ्यता के लोग स्वयं ही आर्य थे और उनका मूलस्थान भारत ही था।
आर्यों की सभ्यता को वैदिक सभ्यता कहते हैं। पहले दृष्टिकोण के अनुसार लगभग १७०० ईसा पूर्व में आर्य अफ़्ग़ानिस्तान, कश्मीर, पंजाब और हरियाणा में बस गये। तभी से वो लोग (उनके विद्वान ऋषि) अपने देवताओं को प्रसन्न करने के लिये वैदिक संस्कृत में मन्त्र रचने लगे। पहले चार वेद रचे गये, जिनमें ऋग्वेद प्रथम था। उसके बाद उपनिषद जैसे ग्रन्थ आये। हिन्दू मान्यता के अनुसार वेद, उपनिषद आदि ग्रन्थ अनादि, नित्य हैं, ईश्वर की कृपा से अलग-अलग मन्त्रद्रष्टा ऋषियों को अलग-अलग ग्रन्थों का ज्ञान प्राप्त हुआ जिन्होंने फिर उन्हें लिपिबद्ध किया। बौद्धऔर धर्मों के अलग हो जाने के बाद वैदिक धर्म मे काफ़ी परिवर्तन आया। नये देवता और नये दर्शन उभरे। इस तरह आधुनिक हिन्दू धर्म का जन्म हुआ।
दूसरे दृष्टिकोण के अनुसार हिन्दू धर्म का मूल कदाचित सिन्धु सरस्वती परम्परा (जिसका स्रोत मेहरगढ़ की ६५०० ईपू संस्कृति में मिलता है) से भी पहले की भारतीय परम्परा में है।

हिन्दू संस्कृति!

वैदिक काल और यज्ञ

प्राचीन काल में आर्य लोग वैदिक मंत्रों और अग्नि-यज्ञ से कई देवताओं की पूजा करते थे। आर्य देवताओं की कोई मूर्ति या मन्दिर नहीं बनाते थे। प्रमुख आर्य देवता थे : देवराज इन्द्र,अग्निसोम और वरुण। उनके लिये वैदिक मन्त्र पढ़े जाते थे और अग्नि में घी, दूध, दही, जौ, इत्यागि की आहुति दी जाती थी। प्रजापति ब्रह्माविष्णु और शिव का उस समय कम ही उल्लेख मिलता है।

तीर्थ एवं तीर्थ यात्रा

भारत एक विशाल देश है, लेकिन उसकी विशालता और महानता को हम तब तक नहीं जान सकते, जब तक कि उसे देखें नहीं। इस ओर वैसे अनेक महापुरूषों का ध्यान गया, लेकिन आज से बारह सौ वर्ष पहले आदिगुरू शंकराचार्य ने इसके लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य किया। उन्होनें चारों दिशाओं में भारत के छोरों पर, चार पीठ (मठ) स्थापित उत्तर में बदरीनाथ के निकट ज्योतिपीठ, दक्षिण में रामेश्वरम् के निकट श्रृंगेरी पीठ, पूर्व में जगन्नाथपुरी में गोवर्धन पीठ और पश्चिम में द्वारिकापीठ। तीर्थों के प्रति हमारे देशवासियों में बड़ी भक्ति भावना है। इसलिए शंकराचार्य ने इन पीठो की स्थापना करके देशवासियों को पूरे भारत के दर्शन करने का सहज अवसर दे दिया। ये चारों तीर्थ चार धाम कहलाते है। लोगों की मान्यता है कि जो इन चारों धाम की यात्रा कर लेता है, उसका जीवन धन्य हो जाता है।

मूर्तिपूजा

ज्यादातर हिन्दू भगवान की मूर्तियों द्वारा पूजा करते हैं। उनके लिये मूर्ति एक आसान सा साधन है, जिसमें कि एक ही निराकार ईश्वर को किसी भी मनचाहे सुन्दर रूप में देखा जा सकता है। हिन्दू लोग वास्तव में पत्थर और लोहे की पूजा नहीं करते, जैसा कि कुछ लोग समझते हैं। मूर्तियाँ हिन्दुओं के लिये ईश्वर की भक्ति करने के लिये एक साधन मात्र हैं। इतिहासकारो का मानना है कि हिन्दु धर्म मे मूर्ति पूजा गौतम बुद्ध् के समय प्रारम्भ् हई।

मंदिर

हिन्दुओं के उपासना स्थलों को मन्दिर कहते हैं। प्राचीन वैदिक काल में मन्दिर नहीं होते थे। तब उपासना अग्नि के स्थान पर होती थी जिसमें एक सोने की मूर्ति ईश्वर के प्रतीक के रूप में स्थापित की जाती थी। एक नज़रिये के मुताबिक बौद्ध और जैन धर्मों द्वारा बुद्ध और महावीर की मूर्तियों और मन्दिरों द्वारा पूजा करने की वजह से हिन्दू भी उनसे प्रभावित होकर मन्दिर बनाने लगे। हर मन्दिर में एक या अधिक देवताओं की उपासना होती है। गर्भगृह में इष्टदेव की मूर्ति प्रतिष्ठित होती है। मन्दिर प्राचीन और मध्ययुगीन भारतीय कला के श्रेष्ठतम प्रतीक हैं। कई मन्दिरों में हर साल लाखों तीर्थयात्री आते हैं।
अधिकाँश हिन्दू चार शंकराचार्यों को (जो ज्योतिर्मठ, द्वारिका, शृंगेरी और पुरी के मठों के मठाधीश होते हैं) हिन्दू धर्म के सर्वोच्च धर्मगुरु मानते हैं।

त्यौहार

नववर्ष - द्वादशमासै: संवत्सर:।' ऐसा वेद वचन है, इसलिए यह जगत्मान्य हुआ। सर्व वर्षारंभों में अधिक योग्य प्रारंभदिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा है। इसे पूरे भारत में अलग-अलग नाम से सभी हिन्दू धूम-धाम से मनाते हैं।
हिन्दू धर्म में सूर्योपासना के लिए प्रसिद्ध पर्व है छठ। मूलत: सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है। यह पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है, किन्तु काल क्रम मे अब यह बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश वासियों तक ही सीमित रह गया है।
आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवरात्रोत्सव आरंभ होता है। नवरात्रोत्सव में घटस्थापना करते हैं। अखंड दीप के माध्यम से नौ दिन श्री दुर्गादेवी की पूजा अर्थात् नवरात्रोत्सव मनाया जाता है।
श्रावण कृष्ण अष्टमी पर जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाता है। इस तिथि में दिन भर उपवास कर रात्रि बारह बजे पालने में बालक श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है, उसके उपरांत प्रसाद लेकर उपवास खोलते हैं, अथवा अगले दिन प्रात: दही-कलाकन्द का प्रसाद लेकर उपवास खोलते हैं।
आश्विन शुक्ल दशमी को विजयादशमी का त्यौहार मनाया जाता है। दशहरे के पहले नौ दिनों (नवरात्रि) में दसों दिशाएं देवी की शक्ति से प्रभासित होती हैं, व उन पर नियंत्रण प्राप्त होता है, दसों दिशाओंपर विजय प्राप्त हुई होती है। इसी दिन राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी।

शाकाहार

किसी भी हिन्दू का शाकाहारी होना आवश्यक है, क्योंकिशाकाहार का गुणगान किया जाता है। शाकाहार को सात्विक आहार माना जाता है। आवश्यकता से अधिक तला भुना शाकाहार ग्रहण करना भी राजसिक माना गया है। मांसाहार को इसलिये अच्छा नही माना जाता, क्योंकि मांस पशुओं की हत्या से मिलता है, अत: तामसिक पदार्थ है। वैदिक काल में पशुओं का मांस खाने की अनुमति नहीं थी, एक सर्वेक्षण के अनुसार आजकल लगभग 70% हिन्दू, अधिकतर ब्राह्मण व गुजराती और मारवाड़ी हिन्दू पारम्परिक रूप से शाकाहारी हैं। वे गोमांस भी कभी नहीं खाते, क्योंकि गाय को हिन्दू धर्म में माता समान माना गया है। कुछ हिन्दू मन्दिरों में पशुबलि चढ़ती है, पर आजकल यह प्रथा हिन्दुओं द्वारा ही निन्दित किये जाने से समाप्तप्राय: है।

वर्ण व्यवस्था

प्राचीन हिंदू व्यवस्था में वर्ण व्यवस्था और जाति का विशेष महत्व था। चार प्रमुख वर्ण थे - ब्राह्मणक्षत्रियवैश्यशूद्र। पहले यह व्यवस्था कर्म प्रधान थी। अगर कोइ सेना में काम करता था तो वह क्षत्रिय हो जाता था चाहे उसका जन्म किसी भी जाति में हुआ हो।

अवतार

वैष्णव धर्मावलंबी और अधिकतर हिंदू भगवान विष्णु के १० अवतार मानते हैं:- मत्स्यकूर्मवराहवामननरसिंह,परशुरामरामकृष्णबुद्ध और कल्कि