मंगलवार, 23 जून 2015

अब जाग उठो कमर कसो मंजिल की राह पुरानी है

अब जाग उठो कमर कसो।


अब जाग उठोकमर कसोमंजिल की राह बुलाती है
ललकार रही हमको दुनिया
 भेरी आवाज़ लगाती है ॥

है ध्येय हमारा दूर सही
 पर साहस भी तो क्या कम है
हमराह अनेक
  साथी हैक़दमों में अंगद का दम है
असुरों
  की लंका राख करे वह आग लगानी आती है ॥१॥

पग-पग पर काँटे
  बिछे हुएव्यवहार कुशलता हममें है
विश्वास विजय का अटल लिएनिष्ठा कर्मठता हममें है
विजयी पुरखों की परंपराअनमोल हमारी थाती है ॥२॥

हम शेर शिवा के अनुगामीराणा प्रताप की आन लिए 
केशव माधव का तेज लिएअर्जुन का शरसंधान लिए
संगठन तन्त्र की शक्ति ही वैभव का चित्र सजाती है ॥३॥

              भारत माता की जय!!

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